इंडियन स्टॉक मार्केट में रिटेल इन्वेस्टर्स को भारी नुकसान |

भारतीय शेयर बाजार में छोटे निवेशकों (रिटेल इन्वेस्टर्स) को बहुत नुकसान हुआ है क्योंकि उनके पसंदीदा छोटे कंपनियों के शेयर (स्मॉल-कैप स्टॉक्स) बड़े निवेशकों (इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स) के शेयरों से ज्यादा गिर गए हैं। 
ब्लूमबर्ग के डेटा के मुताबिक, NSE 500 में जिन शेयरों पर छोटे निवेशकों की 20% से ज्यादा हिस्सेदारी है, वे अपने सबसे ऊंचे स्तर से 45% तक गिर गए हैं। 
वहीं, घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) के शेयर 34% गिरे हैं, और विदेशी संस्थागत निवेकों (FII) के शेयर 29% गिरे हैं। 

पैनिक सेलिंग और मार्जिन कॉल से छोटे निवेशकों को नुकसान:

छोटे निवेशकों के शेयरों में गिरावट Nifty 50 और Sensex जैसे बड़े इंडेक्स से कहीं ज्यादा है। 
मिड और स्मॉल-कैप इंडेक्स भी अपने सबसे ऊंचे स्तर से 20% तक गिर गए हैं। 
रेलगेयर ब्रोकिंग के अजीत मिश्रा के मुताबिक, छोटे निवेशकों को ज्यादा नुकसान पैनिक सेलिंग, मार्जिन कॉल और संस्थागत निवेशकों के सपोर्ट की कमी के कारण हुआ है। 
उन्होंने कहा कि जिन शेयरों में DII और FII की मजबूत हिस्सेदारी है, वे बाजार में गिरावट के दौरान भी बेहतर तरीके से टिकते हैं क्योंकि संस्थगत निवेशक गिरावट के समय शेयर खरीदते हैं। 

स्मॉल-कैप में छोटे निवेशकों का जोश अभी भी बरकरार:

बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद, छोटे निवेशकों ने स्मॉल-कैप शेयरों में निवेश जारी रखा है। 
दिसंबर 2024 तक, स्मॉल-कैप कंपनियों में छोटे निवेशकों की हिस्सेदारी 10.3 ट्रिलियन रुपये थी, जो प्रमोटर्स के बाद सबसे ज्यादा है। 
primeinfobase.com के डेटा के मुताबिक, छोटे निवेशकों के पास स्मॉल-कैप शेयरों में 26.56% हिस्सेदारी है, जो अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है। वहीं, FII और DII की हिस्सेदारी क्रमशः 21.36% और 24.95% है। 
यह ट्रेंड बड़ी कंपनियों (लार्ज-कैप) से अलग है, जहां संस्थागत निवेशकों की 35% से ज्यादा हिस्सेदारी है, जबकि छोटे निवेशकों की सिर्फ 12.25% हिस्सेदारी है। 

बाजार में गिरावट के दौरान छोटे निवेशकों को ज्यादा नुकसान क्यों होता है?

इक्विनॉमिक्स रिसर्च एंड एडवाइजरी के जी. चोक्कालिंगम के मुताबिक, बाजार में गिरावट के दौरान छोटे निवेशकों को हमेशा ज्यादा नुकसान होता है। 
चोक्कालिंगम के अनुसार, ज्यादातर निवेशक बुल मार्केट (तेजी के दौरान) में शेयरों के प्रदर्शन से प्रभावित होते हैं। 
यह ट्रेंड दुनिया भर के बाजारों में देखा गया है, जो अच्छे और खराब दोनों तरह के शेयरों को प्रभावित करता है। 
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कई मामलों में शेयरों की कीमतें बहुत बढ़ जाती हैं, मुनाफा और विकास कमजोर होता है, व्यवसायों में स्थिरता की कमी होती है, और कंपनियों में गवर्नेंस से जुड़ी समस्याएं होती हैं। 
हालांकि, चोक्कालिंगम ने कहा कि अच्छी क्वालिटी वाले शेयर आमतौर पर खराब शेयरों की तुलना में कम गिरते हैं। 

रिकवरी के लिए क्या करें?

बाजार के विशेषज्ञों का मानना है कि रिकवरी का रास्ता इस बात पर निर्भर करता है कि आपके पास किस तरह के शेयर हैं। 
वेल्थमिल्स सिक्योरिटीज के इक्विटी स्ट्रेटेजी डायरेक्टर क्रांति बाथिनी ने कहा कि शयरों की कीमतें अंततः कंपनी के मुनाफे (अर्निंग्स) पर निर्भर करती हैं। 
उन्होंने कहा, “अंततः, शेयर कीमतें मुनाफे के गुलाम होती हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि अगर मुनाफे का आउटलुक सकारात्मक रहता है, तो शेयरों की कीमतों में वापसी की संभावना है। 
हालांकि, अगर मुनाफे का आउटलुक स्पष्ट नहीं है, तो छोटे निवेशकों को अपनी पोजीशन को सावधानी से जांचना चाहिए। 
ट्रेडर्स के लिए, उन्होंने स्टॉप-लॉस लेवल सेट करने के महत्व पर जोर दिया, जो जोखिम को कम करने का एक अच्छा तरीका है। 
इसी तरह, मिश्रा ने सुझाव दिया कि अगर किसी शेयर के फंडामेंटल्स मजबूत हैं और वह सिर्फ बाजार के मूड के कारण गिरा है, तो उसमें और निवेश करना फायदेमंद हो सकता है। 
हालांकि, उन्होंने कमजोर वित्तीय स्थिति, ज्यादा कर्ज या खराब प्रबंधन वाली कंपनियों में नुकसान को कम करने की सलाह दी। 

संस्थागत निवेशकों के सपोर्ट की कमी से छोटे निवेशक कमजोर:

2025 में, नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड के डेटा के मुताबिक, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) 1.4 ट्रिलियन रुपये के शेयर बेच चुके हैं, जो किसी भी साल की सबसे खराब शुरुआत है। 
वहीं, घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) ने इसी अवधि में 1.7 ट्रिलियन रुपये के शेयर खरीदे, जिससे बाजार को और गिरने से बचाया। 
स्मॉल-कैप कंपनियों में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी छोटे निवेशकों की होने के कारण, संस्थागत निवेशकों के सपोर्ट की कमी से वे बाजार के उतार-चढ़ाव के प्रति ज्यादा संवेदनशील हो जाते हैं। 
विशेषज्ञों का सुझाव है कि छोटे निवेशकों को एक अनुशासित तरीका अपनाना चाहिए, मजबूत फंडामेंटल वाले शेयरों पर ध्यान देना चाहिए और भविष्य में बाजार में गिरावट को झेलने के लिए सट्टेबाजी से बचना चाहिए। 

संक्षेप में:


– छोटे निवेशकों को स्मॉल-कैप शेयरों में ज्यादा नुकसान हुआ है। 
– संस्थागत निवेशकों के सपोर्ट की कमी से छोटे निवेशक कमजोर होते हैं। 
– मजबूत फंडामेंटल वाले शेयरों में निवेश करें और सट्टेबाजी से बचें। 
– स्टॉप-लॉस लेवल सेट करके जोखिम को कम करें।

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