इंडियन स्टॉक मार्केट में रिटेल इन्वेस्टर्स को भारी नुकसान |

भारतीय शेयर बाजार में छोटे निवेशकों (रिटेल इन्वेस्टर्स) को बहुत नुकसान हुआ है क्योंकि उनके पसंदीदा छोटे कंपनियों के शेयर (स्मॉल-कैप स्टॉक्स) बड़े निवेशकों (इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स) के शेयरों से ज्यादा गिर गए हैं। 
ब्लूमबर्ग के डेटा के मुताबिक, NSE 500 में जिन शेयरों पर छोटे निवेशकों की 20% से ज्यादा हिस्सेदारी है, वे अपने सबसे ऊंचे स्तर से 45% तक गिर गए हैं। 
वहीं, घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) के शेयर 34% गिरे हैं, और विदेशी संस्थागत निवेकों (FII) के शेयर 29% गिरे हैं। 

पैनिक सेलिंग और मार्जिन कॉल से छोटे निवेशकों को नुकसान:

छोटे निवेशकों के शेयरों में गिरावट Nifty 50 और Sensex जैसे बड़े इंडेक्स से कहीं ज्यादा है। 
मिड और स्मॉल-कैप इंडेक्स भी अपने सबसे ऊंचे स्तर से 20% तक गिर गए हैं। 
रेलगेयर ब्रोकिंग के अजीत मिश्रा के मुताबिक, छोटे निवेशकों को ज्यादा नुकसान पैनिक सेलिंग, मार्जिन कॉल और संस्थागत निवेशकों के सपोर्ट की कमी के कारण हुआ है। 
उन्होंने कहा कि जिन शेयरों में DII और FII की मजबूत हिस्सेदारी है, वे बाजार में गिरावट के दौरान भी बेहतर तरीके से टिकते हैं क्योंकि संस्थगत निवेशक गिरावट के समय शेयर खरीदते हैं। 

स्मॉल-कैप में छोटे निवेशकों का जोश अभी भी बरकरार:

बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद, छोटे निवेशकों ने स्मॉल-कैप शेयरों में निवेश जारी रखा है। 
दिसंबर 2024 तक, स्मॉल-कैप कंपनियों में छोटे निवेशकों की हिस्सेदारी 10.3 ट्रिलियन रुपये थी, जो प्रमोटर्स के बाद सबसे ज्यादा है। 
primeinfobase.com के डेटा के मुताबिक, छोटे निवेशकों के पास स्मॉल-कैप शेयरों में 26.56% हिस्सेदारी है, जो अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है। वहीं, FII और DII की हिस्सेदारी क्रमशः 21.36% और 24.95% है। 
यह ट्रेंड बड़ी कंपनियों (लार्ज-कैप) से अलग है, जहां संस्थागत निवेशकों की 35% से ज्यादा हिस्सेदारी है, जबकि छोटे निवेशकों की सिर्फ 12.25% हिस्सेदारी है। 

बाजार में गिरावट के दौरान छोटे निवेशकों को ज्यादा नुकसान क्यों होता है?

इक्विनॉमिक्स रिसर्च एंड एडवाइजरी के जी. चोक्कालिंगम के मुताबिक, बाजार में गिरावट के दौरान छोटे निवेशकों को हमेशा ज्यादा नुकसान होता है। 
चोक्कालिंगम के अनुसार, ज्यादातर निवेशक बुल मार्केट (तेजी के दौरान) में शेयरों के प्रदर्शन से प्रभावित होते हैं। 
यह ट्रेंड दुनिया भर के बाजारों में देखा गया है, जो अच्छे और खराब दोनों तरह के शेयरों को प्रभावित करता है। 
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कई मामलों में शेयरों की कीमतें बहुत बढ़ जाती हैं, मुनाफा और विकास कमजोर होता है, व्यवसायों में स्थिरता की कमी होती है, और कंपनियों में गवर्नेंस से जुड़ी समस्याएं होती हैं। 
हालांकि, चोक्कालिंगम ने कहा कि अच्छी क्वालिटी वाले शेयर आमतौर पर खराब शेयरों की तुलना में कम गिरते हैं। 

रिकवरी के लिए क्या करें?

बाजार के विशेषज्ञों का मानना है कि रिकवरी का रास्ता इस बात पर निर्भर करता है कि आपके पास किस तरह के शेयर हैं। 
वेल्थमिल्स सिक्योरिटीज के इक्विटी स्ट्रेटेजी डायरेक्टर क्रांति बाथिनी ने कहा कि शयरों की कीमतें अंततः कंपनी के मुनाफे (अर्निंग्स) पर निर्भर करती हैं। 
उन्होंने कहा, “अंततः, शेयर कीमतें मुनाफे के गुलाम होती हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि अगर मुनाफे का आउटलुक सकारात्मक रहता है, तो शेयरों की कीमतों में वापसी की संभावना है। 
हालांकि, अगर मुनाफे का आउटलुक स्पष्ट नहीं है, तो छोटे निवेशकों को अपनी पोजीशन को सावधानी से जांचना चाहिए। 
ट्रेडर्स के लिए, उन्होंने स्टॉप-लॉस लेवल सेट करने के महत्व पर जोर दिया, जो जोखिम को कम करने का एक अच्छा तरीका है। 
इसी तरह, मिश्रा ने सुझाव दिया कि अगर किसी शेयर के फंडामेंटल्स मजबूत हैं और वह सिर्फ बाजार के मूड के कारण गिरा है, तो उसमें और निवेश करना फायदेमंद हो सकता है। 
हालांकि, उन्होंने कमजोर वित्तीय स्थिति, ज्यादा कर्ज या खराब प्रबंधन वाली कंपनियों में नुकसान को कम करने की सलाह दी। 

संस्थागत निवेशकों के सपोर्ट की कमी से छोटे निवेशक कमजोर:

2025 में, नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड के डेटा के मुताबिक, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) 1.4 ट्रिलियन रुपये के शेयर बेच चुके हैं, जो किसी भी साल की सबसे खराब शुरुआत है। 
वहीं, घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) ने इसी अवधि में 1.7 ट्रिलियन रुपये के शेयर खरीदे, जिससे बाजार को और गिरने से बचाया। 
स्मॉल-कैप कंपनियों में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी छोटे निवेशकों की होने के कारण, संस्थागत निवेशकों के सपोर्ट की कमी से वे बाजार के उतार-चढ़ाव के प्रति ज्यादा संवेदनशील हो जाते हैं। 
विशेषज्ञों का सुझाव है कि छोटे निवेशकों को एक अनुशासित तरीका अपनाना चाहिए, मजबूत फंडामेंटल वाले शेयरों पर ध्यान देना चाहिए और भविष्य में बाजार में गिरावट को झेलने के लिए सट्टेबाजी से बचना चाहिए। 

संक्षेप में:


– छोटे निवेशकों को स्मॉल-कैप शेयरों में ज्यादा नुकसान हुआ है। 
– संस्थागत निवेशकों के सपोर्ट की कमी से छोटे निवेशक कमजोर होते हैं। 
– मजबूत फंडामेंटल वाले शेयरों में निवेश करें और सट्टेबाजी से बचें। 
– स्टॉप-लॉस लेवल सेट करके जोखिम को कम करें।

Jio और Airtel का Starlink के साथ बड़ा समझौता: क्या ग्रामीण क्षेत्रों को किफायती Satellite Internet मिलेगा?

Starlink Jio Airtel
Jio और Airtel का Starlink के साथ समझौता: भारत के इंटरनेट भविष्य में नया बदलाव

भारत में इंटरनेट कनेक्टिविटी को और बेहतर बनाने के लिए Jio और Airtel ने Elon Musk की कंपनी Starlink के साथ साझेदारी की है। इस समझौते के तहत, देश के दूर-दराज़ और ग्रामीण इलाकों में हाई-स्पीड सैटेलाइट इंटरनेट उपलब्ध कराया जाएगा। इससे उन क्षेत्रों को फायदा होगा, जहां अभी तक ब्रॉडबैंड या मोबाइल नेटवर्क की सीमित पहुंच है।

Reliance Jio और Bharti Airtel ने SpaceX के साथ समझौता किया है ताकि Starlink की सैटेलाइट इंटरनेट सेवाओं को भारत में लाया जा सके। इस साझेदारी का उद्देश्य दूरदराज और इंटरनेट से वंचित क्षेत्रों में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी को बेहतर बनाना है।

समझौते की प्रमुख बातें:

  • डिस्ट्रिब्यूशन नेटवर्क: Jio और Airtel अपने विस्तृत रिटेल नेटवर्क के माध्यम से Starlink उपकरणों को बेचेंगे, जिससे इसका व्यापक उपयोग हो सकेगा।
  • मौजूदा सेवाओं का एकीकरण: यह कंपनियां Starlink की सैटेलाइट तकनीक को अपने मौजूदा ब्रॉडबैंड नेटवर्क में जोड़कर, पूरे देश में बेहतर और स्थिर इंटरनेट सेवा प्रदान करने की योजना बना रही हैं।
  • नियामक स्वीकृति: इस समझौते को लागू करने के लिए SpaceX को भारतीय सरकारी एजेंसियों से आवश्यक मंजूरी प्राप्त करनी होगी।

डील की लागत:

  • सटीक वित्तीय जानकारी अभी सार्वजनिक नहीं की गई है।
  • अनुमानित लागत: पहले वर्ष में उपयोगकर्ताओं के लिए लगभग ₹1.58 लाख, और दूसरे वर्ष से यह घटकर ₹1.15 लाख हो सकती है।
  • अंतिम मूल्य निर्धारण नियामक स्वीकृति और बाजार की स्थितियों के आधार पर तय किया जाएगा।

यह समझौता Jio और Airtel की रणनीति में एक बड़ा बदलाव दर्शाता है। पहले, ये कंपनियां सैटेलाइट सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम नीलामी की वकालत कर रही थीं, लेकिन अब वे SpaceX के साथ साझेदारी कर भारत में डिजिटल क्रांति को गति देने की दिशा में काम कर रही हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों में किफायती सैटेलाइट इंटरनेट उपलब्ध हो सकता है, लेकिन यह कई कारकों पर निर्भर करेगा:

  • Jio और Airtel की भूमिका – यदि वे Starlink के साथ साझेदारी करते हैं, तो वे लागत को सब्सिडी दे सकते हैं या सैटेलाइट इंटरनेट को मौजूदा प्लानों के साथ बंडल कर सकते हैं, जिससे यह अधिक किफायती हो सकता है।
  • सरकारी नीतियां – यदि भारत सरकार सैटेलाइट इंटरनेट को सब्सिडी या नरम नियमों के साथ समर्थन देती है, तो इसकी लागत कम हो सकती है।
  • तकनीक और बुनियादी ढांचाStarlink और अन्य सैटेलाइट प्रदाता हार्डवेयर लागत (जैसे टर्मिनल) को कम करने पर काम कर रहे हैं, जिससे समय के साथ यह सेवा सस्ती हो सकती है।
  • प्रतिस्पर्धाAirtel समर्थित OneWeb, Amazon का Kuiper और Jio के सैटेलाइट प्रोजेक्ट्स जैसी कंपनियों के कारण बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ सकती है, जिससे ग्रामीण उपयोगकर्ताओं को लाभ मिलेगा।

हालांकि शुरुआती लागत अभी भी अधिक हो सकती है, लेकिन समय के साथ ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अधिक सुलभ और किफायती सैटेलाइट इंटरनेट समाधान उपलब्ध हो सकते हैं।

Starlink कैसे काम करता है?

Starlink एक सैटेलाइट इंटरनेट सेवा है, जिसे SpaceX ने विकसित किया है। यह पारंपरिक फाइबर और ब्रॉडबैंड नेटवर्क से अलग काम करता है क्योंकि यह अंतरिक्ष में स्थित सैटेलाइट्स के माध्यम से इंटरनेट उपलब्ध कराता है।

Starlink कैसे इंटरनेट प्रदान करता है?

  1. सैटेलाइट नेटवर्क:
    • Starlink के हजारों छोटे सैटेलाइट्स पृथ्वी की निचली कक्षा (Low Earth Orbit – LEO) में घूमते हैं।
    • ये सैटेलाइट्स स्थलीय टावरों (Ground Stations) और यूज़र टर्मिनलों के साथ संचार करते हैं।
  2. यूज़र टर्मिनल (Dish & Router):
    • Starlink सेवा का उपयोग करने के लिए एक विशेष डिश एंटीना और राउटर की जरूरत होती है।
    • यह डिश सीधे Starlink सैटेलाइट्स के साथ कनेक्ट होकर इंटरनेट सिग्नल प्राप्त करता है।
  3. तेज़ और कम देरी वाला इंटरनेट:
    • क्योंकि ये सैटेलाइट्स पृथ्वी की सतह से सिर्फ 550 किमी ऊपर होते हैं, इसलिए डेटा को बहुत तेज़ गति से ट्रांसफर किया जाता है।
    • पारंपरिक जियोस्टेशनरी सैटेलाइट्स (जो 35,000 किमी ऊपर होते हैं) की तुलना में Starlink में कम लैटेंसी (delay) होती है, जिससे इंटरनेट की स्पीड तेज़ होती है।
  4. ग्राउंड स्टेशन और डेटा सेंटर:
    • Starlink सैटेलाइट्स स्थलीय ग्राउंड स्टेशनों से जुड़ते हैं, जो इंटरनेट डेटा को मुख्य नेटवर्क से लाने और भेजने का काम करते हैं।
    • लेजर लिंक टेक्नोलॉजी के कारण Starlink के सैटेलाइट्स आपस में भी डेटा ट्रांसफर कर सकते हैं, जिससे इंटरनेट की स्पीड और बढ़ जाती है।

Starlink का उपयोग कहां किया जा सकता है?

  • ग्रामीण और दूरदराज़ के इलाके जहां ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी नहीं पहुंच पाती।
  • जहाजों, हवाई जहाजों और रेगिस्तानी क्षेत्रों में इंटरनेट सेवा देने के लिए।
  • आपातकालीन परिस्थितियों (जैसे भूकंप, बाढ़ आदि) में तत्काल इंटरनेट सुविधा प्रदान करने के लिए।

Starlink की मुख्य विशेषताएँ:

तेज़ इंटरनेट स्पीड (100-300 Mbps)
कम लैटेंसी (~20-40ms)
दूरदराज के क्षेत्रों में भी उपलब्ध
फाइबर ब्रॉडबैंड की तुलना में अधिक लचीलापन

Starlink की प्रारंभिक योजनाओं की कीमतें (USD में)

योजना का नाममासिक शुल्क (USD)एकमुश्त हार्डवेयर लागत (USD)स्पीडलैटेंसी (ms)
स्टारलिंक रेजिडेंशियल$120$59950-250 Mbps20-40 ms
स्टारलिंक बिजनेस$250$2,500150-500 Mbps20-40 ms
स्टारलिंक रोमिंग (ग्लोबल)$200$59950-250 Mbps25-50 ms
स्टारलिंक मारिटाइम (समुद्री उपयोग)$1,000$2,500100-350 Mbps20-40 ms
स्टारलिंक एविएशन (हवाई जहाज के लिए)कस्टम प्राइसिंग$150,000350+ Mbps20-40 ms

🔹 नोट:

  • हार्डवेयर लागत में Starlink की डिश और राउटर शामिल होते हैं।
  • मासिक शुल्क उपयोगकर्ता के स्थान और प्लान के अनुसार भिन्न हो सकता है।
  • रोमिंग प्लान उन लोगों के लिए है, जो यात्रा के दौरान Starlink का उपयोग करना चाहते हैं।
  • भारत में कीमतें और योजनाएँ अलग हो सकती हैं, क्योंकि यह भारतीय सरकारी स्वीकृति और टैरिफ नीतियों पर निर्भर करेगा।

Starlink दुनिया भर में इंटरनेट पहुंच बढ़ाने के मिशन पर है और भविष्य में यह सेवा भारत में भी बड़े पैमाने पर उपलब्ध हो सकती है।

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भारतीय शेयर बाजार में 5 महीने से लगातार गिरावट, सोने की कीमतों में उछाल मुख्य वजह-Indian Stock Market Declines for 5 Months

(Indian Stock Market Declines for 5 Months, FII Sell-Off & Rising Gold Prices Key Factors)

भारतीय शेयर बाजार पिछले 5 महीनों से लगातार गिरावट (Continuous Downtrend) झेल रहा है, जो 29 वर्षों में सबसे लंबी मंदी (Longest Bear Phase in 29 Years) मानी जा रही है। निफ्टी 50 ने सितंबर 2024 के उच्चतम स्तर से लगभग 15% की गिरावट दर्ज की है, जबकि सेंसेक्स में भी 13,000 अंकों की गिरावट आई है।


विदेशी निवेशकों (FII) की भारी बिकवाली मुख्य कारण

(Heavy Selling by Foreign Institutional Investors Main Reason)

📉 विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने पिछले 5 महीनों में भारतीय शेयर बाजार से लगभग 25 बिलियन डॉलर की निकासी की है।
📉 यह बिकवाली मुख्य रूप से उच्च वैल्यूएशन, वैश्विक अनिश्चितताओं और कमजोर कॉरपोरेट आय के कारण हो रही है।
📉 एफआईआई द्वारा की गई लगातार बिकवाली ने ब्लू-चिप, मिडकैप और स्मॉलकैप स्टॉक्स पर भारी दबाव डाला है।


स्मॉलकैप इंडेक्स में भारी गिरावट

(Significant Fall in Small-Cap Index)

📉 बीएसई स्मॉलकैप इंडेक्स (BSE SmallCap Index) में पिछले 5 महीनों में 14% की गिरावट दर्ज की गई है।
📉 स्मॉलकैप शेयरों में बड़े पैमाने पर मुनाफावसूली (Profit Booking) देखी गई है, क्योंकि निवेशकों को उच्च वैल्यूएशन और कम लिक्विडिटी का डर सता रहा है।
📉 छोटे निवेशकों को सबसे ज्यादा नुकसान, क्योंकि इस सेगमेंट में खुदरा निवेशकों की भागीदारी अधिक होती है।
📉 खास तौर पर निम्नलिखित सेक्टर्स प्रभावित:

  • रीटेल और FMCG स्टॉक्स (Retail & FMCG Stocks)
  • फार्मा और हेल्थकेयर (Pharma & Healthcare)
  • माइक्रो फाइनेंस और NBFC सेक्टर (Microfinance & NBFC Sector)

मिडकैप इंडेक्स में बिकवाली जारी

(MidCap Index Faces Continued Sell-Off)

📉 निफ्टी मिडकैप 100 (Nifty MidCap 100) में केवल फरवरी में 10.8% की गिरावट देखी गई।
📉 मिडकैप स्टॉक्स में भी FII द्वारा बिकवाली बढ़ गई है, जिससे इस सेगमेंट में निवेशकों को भारी नुकसान हुआ है।
📉 अहम सेक्टर्स प्रभावित:

  • आईटी और टेक स्टॉक्स (IT & Tech Stocks)
  • ऑटो और ऑटो एंसिलियरी सेक्टर (Auto & Auto Ancillary Sector)
  • इंफ्रास्ट्रक्चर और रियल एस्टेट स्टॉक्स (Infrastructure & Real Estate Stocks)
Left Side Small Cap | Right Side Mid Cap Index

प्रमुख स्टॉक्स में गिरावट (पिछले 5 महीनों में)

(Major Stocks Decline in Last 5 Months)

शेयर का नाम (Stock Name)गिरावट (%) (Decline %)
रिलायंस इंडस्ट्रीज3.7%
HDFC बैंकमंदी का सामना कर रहा
इंफोसिसगिरावट जारी
TCSलगातार दबाव में
महिंद्रा एंड महिंद्राअच्छी बिक्री के बावजूद अस्थिर

सोने की कीमतों में उछाल

(Gold Prices Surge Amid Market Uncertainty)

📈 सोने की कीमतें अपने रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई हैं।
📈 5 फरवरी 2025 को 24 कैरेट सोने की कीमत 84,657 रुपये प्रति 10 ग्राम के ऐतिहासिक स्तर पर पहुंच गई।
📈 शेयर बाजार में अनिश्चितता के कारण निवेशकों ने सोने को सुरक्षित निवेश (Safe-Haven Investment) माना, जिससे कीमतों में यह उछाल देखने को मिला।
📈 विश्लेषकों के अनुसार, सोने की कीमतें 2025 में और बढ़ सकती हैं, यदि बाजार की अस्थिरता जारी रहती है।


क्या आगे सुधार संभव है?

(Is Market Recovery Possible Ahead?)

📊 विश्लेषकों के अनुसार, बाजार में आंशिक सुधार संभव है:
निफ्टी 50 मध्य-2025 तक 24,000 और वर्ष के अंत तक 25,689 तक पहुंच सकता है।
सेंसेक्स 2025 के अंत तक 80,850 तक जाने की संभावना।
स्मॉलकैप और मिडकैप शेयरों में अभी बड़ी गिरावट की संभावना है, क्योंकि निवेशक पहले बड़े शेयरों में स्थिरता देखना चाहेंगे।


निवेशकों के लिए सलाह

(Advice for Investors)

छोटी और अस्थिर कंपनियों में निवेश करते समय सतर्क रहें।
सिर्फ मजबूत फंडामेंटल वाली कंपनियों में ही निवेश करें।
FII की बिकवाली और वैश्विक बाजारों की स्थिति पर नजर बनाए रखें।
स्मॉलकैप और मिडकैप शेयरों में लंबी अवधि के लिए ही निवेश करें।

📢 भारतीय शेयर बाजार में स्थिरता की वापसी की उम्मीद है, लेकिन स्मॉलकैप और मिडकैप शेयरों में जोखिम बना रहेगा। ऐसे में निवेशकों को सतर्क रहने और सूझबूझ से निवेश करने की जरूरत है।

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भारत की जीडीपी वृद्धि दूसरी तिमाही में सात तिमाही के निचले स्तर पर पहुँची

जुलाई से सितंबर के बीच आर्थिक विकास दर 5.4% तक गिर गई है, जो पहली तिमाही में 6.7% के न्यूनतम स्तर तक पहुंची थी। कृषि और सेवा क्षेत्रों को छोड़कर, सभी खंडों में मंदी देखी गई है।

अर्थशास्त्रियों ने इसे चिंता का संकेत मानते हुए कहा कि भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि जुलाई से सितंबर 2024 तिमाही में 5.4% के सात तिमाही के निम्नतम स्तर पर पहुंच गई है, जो पहले तिमाही (Q1) में 6.7% के पांच तिमाही के न्यूनतम स्तर से भी कम है। इस बीच, सकल मूल्य वर्धित (GVA) वृद्धि 6.8% से घटकर 5.8% हो गई है।

हाल ही में, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के अधिकारियों ने आर्थिक गतिविधि संकेतकों का हवाला देते हुए Q2 में 6.8% जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाया था। केंद्रीय बैंक के अक्टूबर मौद्रिक नीति समीक्षा में उद्धृत आधिकारिक अनुमान 7% था। वित्तीय वर्ष 2023-24 की दूसरी तिमाही में वास्तविक जीडीपी 8.1% बढ़ी थी, जबकि उस तिमाही में GVA वृद्धि 7.7% थी।

“RBI ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए पूरे साल की GDP वृद्धि 7.2% का अनुमान लगाया है, जबकि वित्त मंत्रालय 6.5% से 7% की वृद्धि की उम्मीद कर रहा है। हालांकि, यह साल की दूसरी छमाही में तीव्र उछाल की मांग करता है, क्योंकि NSO के डेटा के अनुसार अप्रैल से सितंबर के बीच वास्तविक GDP 6% बढ़ी है। यह 2022-23 की दूसरी छमाही के बाद से सबसे धीमी छह महीने की वृद्धि है, जब GDP 5.3% बढ़ी थी, और 2023-24 की पहली छमाही में दर्ज की गई 8.2% की वृद्धि से काफी कम है।

2024-25 की पहली छमाही के लिए वास्तविक GVA वृद्धि का अनुमान 6.2% है, जो GDP वृद्धि से थोड़ा अधिक है। यह 2023-24 के दौरान देखी गई GDP वृद्धि के मूल्य में एक नया रुझान दिखाता है।

कृषि और सेवा क्षेत्रों को छोड़कर, अर्थव्यवस्था के सभी खंडों ने Q2 में पिछले साल की तुलना में तीव्र मंदी दर्ज की। खनन और उत्खनन GVA 0.1% संकुचन के साथ घाटे में आ गया, जबकि पिछले साल Q2 में यह 11.1% बढ़ा था। कृषि, पशुधन, वानिकी और मछली पकड़ने के GVA में 3.5% की वृद्धि हुई, जो पिछले साल दर्ज की गई 1.7% की वृद्धि से अधिक है।”

“कोटक महिंद्रा बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री उपासना भारद्वाज ने कहा कि अपेक्षित से काफी कम जीडीपी आंकड़े अत्यधिक निराशाजनक कॉर्पोरेट कमाई डेटा को दर्शाते हैं और विनिर्माण क्षेत्र को सबसे अधिक नुकसान हुआ है। हालांकि, त्योहारों के मौसम के खर्च से वर्ष की दूसरी छमाही में वृद्धि को बढ़ावा मिल सकता है, उन्होंने अनुमान लगाया कि 2024-25 की वृद्धि RBI के 7.2% अनुमान की तुलना में लगभग एक प्रतिशत अंक कम हो सकती है।

हालांकि, मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन आशान्वित थे और कहा कि 5.4% की वृद्धि दर सिर्फ ‘एक अस्थायी आंकड़ा’ है, जो आंशिक रूप से Q2 में शहरी मांग में ठंडक के कारण है, जो कि जारी रहने की उम्मीद नहीं है।

उन्होंने सलाह दी कि इन आंकड़ों से पूरे वर्ष की वृद्धि की संभावनाओं के बारे में अधिक निष्कर्ष नहीं निकालना चाहिए। ‘ये प्रथम अनुमान हैं। 2024-25 के पूरे वर्ष के वृद्धि अनुमान का पहला कट जनवरी में उपलब्ध होगा…यह कहना जल्दबाजी होगी कि 6.5% का आंकड़ा भी खतरे में है,’ उन्होंने कहा।

विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि 2.2% तक गिर गई है, जो पिछले साल Q2 में 14.3% थी, जबकि निर्माण GVA 7.7% बढ़ गया है, जो एक साल पहले की 13.6% की वृद्धि से आधा है। बिजली, गैस, जल आपूर्ति और अन्य उपयोगिता सेवाओं का GVA 3.3% बढ़ गया है, जो जुलाई-सितंबर 2023 में 10.5% था।

सार्वजनिक प्रशासन, रक्षा और अन्य सेवाओं ने सेवा क्षेत्रों में तेजी दिखाई, जिनका GVA पिछले साल के 7.7% से बढ़कर 9.2% हो गया। व्यापार, होटल, परिवहन, संचार और प्रसारण से संबंधित सेवाओं का GVA पिछले साल के 4.5% से बढ़कर 6.6% हो गया, जबकि वित्तीय, रियल एस्टेट और पेशेवर सेवाओं का GVA 6.2% की वृद्धि की तुलना में 6.7% बढ़ गया।

‘FY 2024-25 की Q2 में विनिर्माण (2.2%) और खनन और उत्खनन (-0.1%) क्षेत्रों में धीमी वृद्धि के बावजूद, H1 (अप्रैल-सितंबर) में वास्तविक GVA की वृद्धि दर 6.2% रही,’ राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने कहा।

उज्ज्वल पक्ष पर, NSO ने उपभोग खर्च में पुनरुद्धार को रेखांकित किया, यह इंगित करते हुए कि Q2 में निजी अंतिम उपभोग व्यय (PFCE) में इस वर्ष 6% की वृद्धि हुई है, जबकि पिछले साल की वृद्धि दर 2.6% थी। हालांकि, यह इस साल की पहली तिमाही से धीमी है, जब PFCE 7.4% बढ़ा था, जो छह तिमाहियों में सबसे तेज था।

अर्थव्यवस्था में पूंजी निवेश का सूचक, सकल स्थिर पूंजी निर्माण में वृद्धि, Q1 के 7.5% से घटकर 5.4% हो गई है, जो कम से कम छह तिमाहियों में सबसे धीमी गति है।

विभागीय रूप से विभाजित, इस वर्ष की पहली छमाही (H1) में सिर्फ एक खंड में वृद्धि में तेजी देखी गई है – सार्वजनिक प्रशासन, रक्षा और अन्य सेवाएँ, जिनका GVA 2023-24 की H1 के 8% से बढ़कर 9.3% हो गया है। बिजली, जल और अन्य उपयोगिता सेवाओं के लिए, पिछले साल की H1 के 6.8% के समान वृद्धि दर बनी हुई है।

NSO ने कहा कि कृषि और सहायक क्षेत्र ने FY 2024-25 की Q2 में 3.5% की वृद्धि दर दर्ज करके वापसी की है, पिछले चार तिमाहियों के दौरान 0.4% से 2.0% तक की उप-इष्टतम वृद्धि दरें देखी गई थीं। हालांकि, वर्ष की पहली छमाही में कृषि क्षेत्र की GVA वृद्धि 2.7% है, जो पिछले साल की इसी अवधि में दर्ज की गई 2.8% की वृद्धि से धीमी है।

औद्योगिक क्षेत्रों में प्रमुख मंदी के अलावा, निजी अंतिम उपभोग व्यय और सकल स्थिर पूंजी निर्माण के दो घरेलू मांग घटक मिलकर 1.5 प्रतिशत अंक की गिरावट के लिए जिम्मेदार हैं, जो Q2 से Q1 में GDP वृद्धि में गिरावट को लगभग पूरी तरह से समझाते हैं, EY इंडिया के मुख्य नीति सलाहकार डी. के. श्रीवास्तव ने कहा।

‘मांग पक्ष के स्पष्टीकरण का एक अच्छा हिस्सा केंद्र के निवेश व्यय में अप्रत्याशित मंदी से उत्पन्न होता है, जिसने इस वर्ष की पहली छमाही में 15.4% की गिरावट दिखाई है। चूंकि यह घरेलू मांग का मुख्य चालक है, इसने विभिन्न औद्योगिक और बुनियादी ढांचा संबंधित क्षेत्रों के लिए मांग को प्रभावित किया है,’ उन्होंने बताया।”

अडाणी ग्रीन, अडाणी टोटल गैस: अमेरिका में गौतम अडाणी पर रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी के आरोपों के बाद अडाणी समूह के शेयरों में 20% तक की गिरावट आई।

अरबपति अडानी समूह के अध्यक्ष और दुनिया के सबसे अमीर लोगों में से एक गौतम अडानी पर न्यूयॉर्क में कथित अरबों डॉलर के रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी मामले में आरोप लगाया गया है।

अडानी समूह के शेयरों में भारी गिरावट


अडानी समूह की कंपनियों, जैसे अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस, अडानी टोटल गैस, अडानी ग्रीन एनर्जी, अडानी पावर, अडानी एंटरप्राइजेज, अडानी पोर्ट्स और अडानी विल्मर के शेयरों में 21 नवंबर, गुरुवार को शुरुआती कारोबार में 20% तक की गिरावट आई।


अरबपति अडानी समूह के अध्यक्ष और दुनिया के सबसे अमीर लोगों में से एक गौतम अडानी पर न्यूयॉर्क में कथित अरबों डॉलर के रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी मामले में आरोप लगाए जाने के बाद शेयरों में यह भारी गिरावट आई है।
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि अडानी और सात अन्य आरोपियों, जिनमें उनके भतीजे सागर अडानी भी शामिल हैं, ने भारतीय सरकारी अधिकारियों को लगभग 265 मिलियन डॉलर का रिश्वत देने पर सहमति व्यक्त की थी, ताकि 20 साल में 2 बिलियन डॉलर का लाभ कमाने वाले अनुबंध प्राप्त किए जा सकें और भारत के सबसे बड़े सौर ऊर्जा संयंत्र परियोजना का विकास किया जा सके।


अभियोजकों ने यह भी कहा कि अडानी और अडानी ग्रीन एनर्जी के एक अन्य कार्यकारी अधिकारी, पूर्व सीईओ वीनीत जैन ने लेनदारों और निवेशकों से अपनी भ्रष्टाचार को छिपाकर 3 बिलियन डॉलर से अधिक का ऋण और बॉन्ड जुटाया।
व्यक्तिगत शेयरों की बात करें तो अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस बीएसई पर 20% के निचले सर्किट पर 697.70 रुपये पर लॉक हो गया। अडानी पोर्ट्स 10% के निचले सर्किट पर 1160.15 रुपये पर स्थिर हो गया। अडानी विल्मर के शेयर बीएसई पर लगभग 8% गिरकर 301.60 रुपये प्रति शेयर पर आ गए, जबकि अडानी पावर के शेयर लगभग 11% गिर गए।
अडानी एंटरप्राइजेज भी 20% के निचले सर्किट पर 2538.20 रुपये पर लॉक हो गया।
एक आरोप पत्र के अनुसार, कुछ साजिशकर्ताओं ने गौतम अडानी को निजी तौर पर “न्यूमेरो उनो” और “द बिग मैन” नाम से संबोधित किया, जबकि सागर अडानी ने कथित तौर पर अपने सेल फोन का इस्तेमाल रिश्वत के बारे में जानकारी ट्रैक करने के लिए किया।


रिपोर्ट में कहा गया है कि गौतम अडानी, सागर अडानी और जैन पर प्रतिभूति धोखाधड़ी, प्रतिभूति धोखाधड़ी साजिश और तार धोखाधड़ी साजिश का आरोप लगाया गया है, और अडानियों पर यूएस सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन के एक नागरिक मामले में भी आरोप लगाया गया है।
ब्रुकलिन में अमेरिकी अटॉर्नी ब्रेन पीस के एक प्रवक्ता ने कहा कि कोई भी आरोपी हिरासत में नहीं है। माना जाता है कि गौतम अडानी भारत में हैं।

यह अडानी समूह के खिलाफ दूसरा गंभीर आरोप है। इससे पहले, हिंडनबर्ग रिसर्च ने 2023 की शुरुआत में अपनी रिपोर्ट में कहा था कि समूह दशकों से “बेशर्मी से शेयरों में हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी योजना” में शामिल रहा है।
इसके बाद, अडानी समूह के शेयरों में भारी गिरावट आई क्योंकि निवेशक बाएं, दाएं और केंद्र में शेयर बेचने के लिए दौड़ पड़े। हालांकि, महीनों बाद, शेयरों में सुधार हुआ।


इस साल जुलाई में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 3 जनवरी, 2024 के अपने फैसले की समीक्षा करने की याचिका खारिज कर दी, जिसमें भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की जांच को बरकरार रखा गया था, जिसमें अमेरिकी-आधारित हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अडानी समूह के खिलाफ नियमों और प्रतिभूतियों के कानूनों का उल्लंघन करते हुए शेयर की कीमतों में हेरफेर और लेनदेन का खुलासा न करने के आरोपों की जांच की गई थी।

अडानी समूह के लिए एक महत्वपूर्ण जीत में, शीर्ष अदालत ने 3 जनवरी, 2024 को सीबीआई या एसआईटी जांच का आदेश देने से इनकार कर दिया। अपने फैसले में, शीर्ष अदालत ने कहा था कि बाजार नियामक सेबी आरोपों की “व्यापक जांच” कर रहा है, और इसका आचरण “विश्वास प्रेरित” है।
अगस्त 2024 में, सेबी ने कहा कि उसने अडानी समूह के खिलाफ आरोपों की सभी जांचों में से एक को छोड़कर सभी को पूरा कर लिया है।


पूंजी बाजार नियामक ने कहा कि उसने 24 में से 23 जांच पूरी कर ली है, और कहा कि उसने अडानी समूह को 100 से अधिक सम्मन और 1,100 पत्र और ईमेल जारी किए हैं।
10 अगस्त को अपने नवीनतम ब्लॉग में हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा निष्क्रियता के आरोपों का खंडन करते हुए, सेबी ने कहा कि उसने घरेलू और विदेशी नियामकों को संचार जारी किया था और 12,000 से अधिक पृष्ठों के दस्तावेजों की जांच की थी।

भारत में रिलायंस जियो के लिए खतरा कैसे है स्टारलिंक: Starlink Vs Jio

स्टारलिंक, एलोन मस्क की सैटेलाइट इंटरनेट सेवा, भारत में रिलायंस जियो के लिए बड़ा खतरा है। इसकी उच्च गति और कम विलंबता वाली सेवा ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों को लक्षित करती है, जो जियो के लिए प्रतिस्पर्धात्मक चुनौती है। नियामक चुनौतियाँ और स्पेक्ट्रम आवंटन पर बहस इस प्रतिस्पर्धा को और भी जटिल बना देती हैं। रिलायंस जियो को अपनी बाजार स्थिति बनाए रखने के लिए अनुकूल होना पड़ेगा।

परिचय

भारतीय टेलीकॉम परिदृश्य में एक नई लहर देखी जा रही है, जिसमें एलोन मस्क की सैटेलाइट इंटरनेट सेवा, स्टारलिंक की एंट्री हो रही है। जैसे-जैसे स्टारलिंक भारत में अपनी सेवाएं लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है, यह स्थापित खिलाड़ियों जैसे रिलायंस जियो के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा पैदा कर रहा है। इस लेख में, हम यह विश्लेषण करेंगे कि कैसे स्टारलिंक की नवाचारपूर्ण इंटरनेट कनेक्टिविटी रिलायंस जियो के प्रभुत्व को चुनौती दे सकती है।

भारत में स्टारलिंक का प्रवेश

स्टारलिंक, जो कि स्पेसएक्स द्वारा प्रदान की जाने वाली सैटेलाइट इंटरनेट सेवा है, का उद्देश्य विशेष रूप से ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में उच्च गति और कम विलंबता वाली इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान करना है, जहां पारंपरिक ब्रॉडबैंड सेवाएं अनुपलब्ध या धीमी होती हैं। कंपनी ने भारतीय सरकार के डेटा लोकलाइजेशन और सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करते हुए नियामक अनुमोदन प्राप्त करने में प्रगति की है। अपनी वहनीयता और लचीलापन पर ध्यान केंद्रित करते हुए, स्टारलिंक भारत में एक बड़ा ग्राहक आधार आकर्षित करने के लिए तैयार है।

रिलायंस जियो की वर्तमान स्थिति

मुकेश अंबानी द्वारा नेतृत्वित रिलायंस जियो, 2016 में अपनी विघटनकारी प्रवेश के बाद से भारतीय टेलीकॉम सेक्टर में एक प्रमुख ताकत रही है। फरवरी 2024 तक 467 मिलियन वायरलेस ब्रॉडबैंड ग्राहकों के साथ, जियो का एक महत्वपूर्ण बाजार हिस्सेदारी है। कंपनी ने अपने सैटेलाइट इंटरनेट सेवा, जियोस्पेसफाइबर के माध्यम से भी विस्तार किया है, जो वर्तमान में चयनित शहरों में उपलब्ध है।

रिलायंस जियो के लिए खतरा

भारतीय बाजार में स्टारलिंक का प्रवेश रिलायंस जियो के लिए कई चुनौतियाँ प्रस्तुत करता है। सबसे पहले, स्टारलिंक की दूरस्थ और कम सेवा वाले क्षेत्रों में इंटरनेट पहुंच प्रदान करने की क्षमता उसे पारंपरिक ब्रॉडबैंड प्रदाताओं पर एक प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त देती है। यह ग्राहकों की प्राथमिकताओं में बदलाव का कारण बन सकता है, विशेष रूप से टियर 2 और 3 शहरों में जहां वहनीयता एक महत्वपूर्ण कारक है।

दूसरे, स्टारलिंक का उच्च गति और कम विलंबता वाली इंटरनेट कनेक्टिविटी पर ध्यान केंद्रित करना उन ग्राहकों को आकर्षित कर सकता है जो मौजूदा सेवाओं की तुलना में बेहतर प्रदर्शन चाहते हैं। कंपनी की लचीली सदस्यता योजनाएं और कोई दीर्घकालिक अनुबंध न होना उन उपभोक्ताओं के लिए भी आकर्षक हो सकता है जो अपनी इंटरनेट सेवाओं पर अधिक नियंत्रण पसंद करते हैं।

नियामक चुनौतियाँ और स्पेक्ट्रम आवंटन

स्टारलिंक के प्रवेश ने भारत में सैटेलाइट स्पेक्ट्रम के आवंटन पर भी बहस छेड़ दी है। जबकि रिलायंस जियो और अन्य टेलीकॉम ऑपरेटरों ने उपग्रह इंटरनेट स्पेक्ट्रम के आवंटन के लिए नीलामी प्रक्रिया अपनाने का आग्रह किया है, सरकार ने प्रशासनिक आवंटन की प्राथमिकता व्यक्त की है। इससे स्थानीय टेलीकॉम ऑपरेटरों और स्टारलिंक और अमेज़न के प्रोजेक्ट कुपर जैसे वैश्विक खिलाड़ियों के बीच तनाव उत्पन्न हुआ है।

निष्कर्ष

जैसे-जैसे स्टारलिंक भारत में अपनी सेवाएं लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है, यह ब्रॉडबैंड बाजार में रिलायंस जियो के प्रभुत्व को चुनौती देने के लिए तैयार है। इंटरनेट कनेक्टिविटी के प्रति अपने नवाचारपूर्ण दृष्टिकोण और वहनीयता पर ध्यान केंद्रित करते हुए, स्टारलिंक में भारतीय टेलीकॉम परिदृश्य को पुनः आकार देने की क्षमता है। रिलायंस जियो को इस नई प्रतिस्पर्धा का सामना करने के लिए अपनी सेवाओं को बढ़ाने और अपने ग्राहक आधार को बनाए रखने के लिए नई रणनीतियों का अन्वेषण करने की आवश्यकता होगी।


भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक घटनाओं से उत्पन्न किसी भी प्रतिकूल प्रभाव को संभालने के लिए पर्याप्त मजबूत: RBI Governor

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक घटनाओं से उत्पन्न किसी भी प्रतिकूल प्रभाव को संभालने के लिए पर्याप्त मजबूत है। उन्होंने कोच्चि इंटरनेशनल फाउंडेशन के उद्घाटन समारोह में यह बात कही। देश का बाहरी क्षेत्र भी मजबूत है और चालू खाता घाटा (CAD) जीडीपी का 1.1 प्रतिशत है। 2010 और 2011 में यह 6 से 7 प्रतिशत के बीच था। भारत के पास लगभग $675 बिलियन का विदेशी मुद्रा भंडार है। उन्होंने यह भी कहा कि देश की मुद्रास्फीति मध्यम रहने की उम्मीद है। अक्टूबर में भारत की मुद्रास्फीति 6.2 प्रतिशत हो गई, जो सितंबर में 5.5 प्रतिशत थी, और इसके पीछे मुख्य कारण खाद्य मुद्रास्फीति थी।

शक्तिकांत दास ने मुद्रास्फीति को ‘कमरे में हाथी’ के रूप में संदर्भित करते हुए मजाक में कहा कि “अब हाथी कमरे से बाहर टहलने के लिए चला गया है, फिर वह वापस जंगल में चला जाएगा।” उन्होंने यह भी बताया कि जब यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ, तो मुद्रास्फीति बढ़ गई, लेकिन आरबीआई ने सही मौद्रिक नीति का पालन किया और मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखा।

भारत ने नोट छापने की नीति का पालन नहीं किया क्योंकि इससे समस्याएं बढ़ सकती थीं। उन्होंने यह भी बताया कि कई देशों में मुद्रास्फीति गहराई से जड़ें जमा चुकी है, लेकिन भारत में यह घट रही है। आरबीआई ने अपनी ब्याज दर को 4 प्रतिशत पर रखा, जिससे हमारी रिकवरी बहुत आसान हो गई।

दास ने यह भी बताया कि आरबीआई छोटे उद्यमियों और किसानों को क्रेडिट वितरण में परिवर्तनकारी बदलाव ला रहा है, खासकर यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) और हाल ही में लॉन्च की गई यूनिफाइड लेंडिंग इंटरफेस (ULI) के माध्यम से।

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बैंकों को ‘उत्पादों के गलत बेचने’ के दीर्घकालिक जोखिमों के प्रति चेतावनी दी है।

आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 ने भी बैंकिंग, बीमा और वित्तीय सेवाओं में गलत बिक्री पर कड़ी निगरानी की मांग की थी।

भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को बैंकों से अपने आंतरिक शासन ढांचे को मजबूत करने का आह्वान किया, बोर्डों से उत्पादों की गलत बिक्री और अनुचित खाता खोलने जैसे मुद्दों पर गंभीरता से विचार करने का आग्रह किया। मुंबई में निजी क्षेत्र के बैंकों के निदेशकों के सम्मेलन में बोलते हुए, दास ने अल्पकालिक मुनाफे पर दीर्घकालिक विश्वास के महत्व पर जोर दिया।

“अनैतिक प्रथाओं, जैसे कि उत्पादों की गलत बिक्री या बिना उचित केवाईसी सत्यापन के खाते खोलने, पर अंकुश लगाना आवश्यक है। कर्मचारियों के प्रोत्साहनों को सावधानीपूर्वक संरचित किया जाना चाहिए ताकि गलत बिक्री या अनैतिक प्रथाओं को बढ़ावा न मिले,” दास ने कहा।

“हालांकि ऐसी प्रथाएँ अल्पकालिक लाभ दे सकती हैं, वे अंततः बैंक को दीर्घकालिक जोखिमों के सामने लाती हैं, जिसमें प्रतिष्ठात्मक क्षति, निगरानी जांच और वित्तीय दंड शामिल हैं,” उन्होंने चेतावनी दी।

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास मुंबई में निजी क्षेत्र के बैंकों के निदेशकों के सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।

गवर्नर की टिप्पणियाँ उत्पादों की गलत बिक्री, विशेष रूप से बीमा क्षेत्र में, के बारे में बढ़ती चिंताओं के बीच आईं। आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 ने नोट किया कि यह समस्या “कुछ अत्यधिक उत्साही बिक्री कर्मियों की एक अपवाद के रूप में खारिज करने के लिए बहुत व्यापक है।”

“बीमा दावों का त्वरित और उचित निपटान और कम अस्वीकृति दर बीमा के प्रसार को बढ़ाने के लिए आवश्यक हैं,” सर्वेक्षण ने कहा।

“गलत बिक्री और गलत प्रस्तुति की स्वीकृति और परिणामी नुकसानों के लिए मुआवजा देना स्टॉकब्रोकिंग, फंड प्रबंधन, बैंकिंग और बीमा फर्मों पर लागू एक अच्छा व्यावसायिक अभ्यास है,” इसमें जोड़ा गया।

भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट 2022-23 में भारत में कुल बीमा प्रसार में मामूली गिरावट के चिंताजनक संकेतों को चिह्नित किया है — FY22 में 4.2% से FY23 में 4% तक। जीवन बीमा में सबसे तेज गिरावट देखी गई, जो 3.2% से घटकर 3% पर आ गई, जबकि गैर-जीवन बीमा 1% पर स्थिर रहा।

IRDAI ने बीमा कंपनियों से शिकायतों की जड़ तक पहुँचने के लिए विश्लेषण करने, बिक्री चैनलों में मजबूत नियंत्रण लागू करने और ग्राहकों की जरूरतों के अनुसार उत्पादों को बेहतर बनाने का आग्रह किया था।

आरबीआई ने गवर्नर शक्तिकांत दास के निवेश योजनाओं को बढ़ावा देने वाले डीपफेक वीडियो के खिलाफ चेतावनी दी है।

भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने उन “डीपफेक” वीडियो के बारे में चेतावनी जारी की है जो झूठे तरीके से गवर्नर शक्तिकांत दास को निवेश योजनाओं का समर्थन करते हुए दर्शाते हैं।

आरबीआई ने गवर्नर शक्तिकांत दास के निवेश योजनाओं को बढ़ावा देने वाले डीपफेक वीडियो के खिलाफ चेतावनी दी है।

भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने मंगलवार को गवर्नर शक्तिकांत दास के “डीपफेक” वीडियो के बारे में चेतावनी जारी की, जो केंद्रीय बैंक द्वारा “कुछ निवेश योजनाओं के लॉन्च या समर्थन” का झूठा दावा करते हैं। आरबीआई ने स्पष्ट किया कि ये वीडियो नकली हैं और केंद्रीय बैंक ऐसी कोई वित्तीय निवेश सलाह नहीं देता है।

आरबीआई ने कहा कि इन वीडियो में तकनीकी उपकरणों का उपयोग करके लोगों को ऐसी योजनाओं में निवेश करने की सलाह दी जाती है। आरबीआई ने स्पष्ट किया कि उसके अधिकारी ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं हैं और ये वीडियो नकली हैं।

इस मुद्दे ने डीपफेक की बढ़ती खतरे को उजागर किया है—ये अत्यधिक विश्वसनीय, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का उपयोग करके बनाए गए नकली वीडियो या ऑडियो होते हैं। किसी व्यक्ति के रूप या शब्दों को दूसरे के क्रियाओं या शब्दों पर सुपरइम्पोज़ करके, ये वीडियो ऐसी प्रामाणिकता का भ्रम पैदा कर सकते हैं जिसे पहचानना मुश्किल होता है।

वित्तीय जगत में, डीपफेक एक अनोखा जोखिम पैदा करते हैं क्योंकि धोखेबाज इस तकनीक का उपयोग करके भरोसेमंद व्यक्तियों की नकल करते हैं और पीड़ितों को धोखाधड़ी वाली योजनाओं में फंसाते हैं।

आरबीआई गवर्नर की पहचान का उपयोग करके, धोखेबाज केंद्रीय बैंक से जुड़े विश्वास और साख का फायदा उठाना चाहते हैं। ऐसी रणनीतियाँ विशेष रूप से भारत जैसे देश में चिंताजनक हैं, जहां लाखों नए निवेशक वित्तीय बाजार में प्रवेश कर रहे हैं और शायद उनके पास इस तरह के दावों की प्रामाणिकता की जांच करने का विशेषज्ञता नहीं है।

Zinka Logistics IPO: Issue booked 1.86 times on the last day: Check allotment and listing date.

“Zinka Logistics Solution Limited’s IPO achieved almost twice the subscription level on its final bidding day, Monday, November 18, driven primarily by Qualified Institutional Buyers (QIBs).

The primary market offering, owned by the logistics solutions provider behind the BlackBuck truck booking app, was available for subscription from November 13 to November 18.

The issue garnered bids for over 4.19 crore shares against the 2.25 crore shares on offer, resulting in a total subscription rate of 1.86 times.

Investors who have placed bids for the company’s shares are now awaiting the finalization of the allotment status. The allotment status for the BlackBuck IPO is expected to be concluded on Tuesday, November 19.

The status of the BlackBuck IPO share allotment can be checked on the official website of the registrar, Kfin Technologies Limited, as well as on the BSE and NSE websites.”

Steps to Check BlackBuck IPO Share Allotment Status on NSE

  1. Visit the NSE IPO allotment status page: NSE IPO Allotment Status.
  2. Enter your login credentials (username and password). First-time users will need to create a new login ID to proceed.
  3. From the drop-down menu, select ‘Zinka Logistics Solution Limited.’
  4. Enter your PAN details.
  5. Provide your IPO application number.
  6. Tick the ‘I am not a Robot’ checkbox.
  7. Click the ‘Submit’ button.

Alternatively, investors can also check the BlackBuck IPO share allotment status on the BSE website using their PAN details and IPO application number.

Steps to Check BlackBuck IPO Share Allotment Status on Kfin Technologies Limited

  1. Visit the Kfin Technologies IPO allotment status page at KfinTech IPO Status.
  2. Choose any one of the server links provided to check the IPO allotment status.
  3. From the drop-down menu for issue names, select ‘Zinka Logistics Solution Limited.’
  4. Enter your details, including application number, PAN, DP/Client ID, and account number/IFSC.
  5. Click the ‘Submit’ button.
  6. Your allotment status will be displayed on the screen.

Zinka Logistics IPO Subscription Details

The retail portion of Zinka Logistics’ mainboard issue saw a subscription rate of 1.65 times, with investors bidding for over 69.26 lakh shares against the 41.89 lakh shares allocated for this category.

Non-Institutional Investors (NIIs) applied for 14.87 lakh shares compared to the 62.84 lakh shares available, resulting in a 24% subscription rate. Qualified Institutional Buyers (QIBs) oversubscribed their allotted quota 2.76 times, placing bids for over 3.32 crore shares against the 1.2 crore shares reserved for them.

Company employees significantly oversubscribed their portion, applying for 2,56,392 shares versus the 26,000 shares set aside, achieving a subscription rate of 9.86 times.

Zinka Logistics Solution IPO Details

The BlackBuck IPO, valued at ₹1,114.72 crore, includes a fresh issue of 2.01 crore shares amounting to ₹550 crore and an offer-for-sale (OFS) of 2.07 crore shares totaling ₹564.72 crore.

The IPO price range was set between ₹259 and ₹273 per share. Retail investors could apply for a minimum of one lot, consisting of 54 shares, amounting to an investment of ₹14,742.

Alter this too “About Zinka Logistics Solution Limited Zinka Logistics Solution Limited was founded in 2015. Through its BlackBuck app, the company offers a digital platform for truck operators, including services related to payments, telematics, vehicle financing, and a freight marketplace.”

About Zinka Logistics Solution Limited

Founded in 2015, Zinka Logistics Solution Limited provides a digital platform for truck operators through its BlackBuck app. The platform offers a range of services, including payments, telematics, vehicle financing, and a freight marketplace.

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